Friday, September 18, 2020

ZAALIM HUKMARAN KE KHILAAF HAMARA RAWAIYYA

ज़ालिम हुक्मरान के ज़ुल्म के खिलाफ बगावत करने को मुहम्मद साहब में मना फरमाया है क्यूंकि ज़ालिम हुक्मरान अल्लाह की तरफ से होता है, और तब तक रहता है जब तक उम्मत शर्क और बिदात से रूजू करके क़ुरआन और सुन्नत के मुताबिक अपने आमल दुरुस्त नहीं कर लेती,

और जिहाद का हुकम उसी सूरत में होता है जब अहले इल्म जिहाद का हुकम दे वरना फितनो के वक़्त मुहम्मद साहब ने लोगों को घर पर रहने का हुक्म दिया है और सब्र करने की तलकीन की है,
लिबरल और मुनकर ए हदीस कहते हैं एनआरसी और सीएए पर खूब धरना प्रदर्शन करो उस ऐन जिहाद की तरह समझो,

तो मेरा उनसे ये सवाल है जिहाद कोई खयाली चिड़िया नहीं जो कह दिया और हो गया, क्या उन्होंने लीबिया , मिस्र , यमन और सीरिया के धरना प्रदर्शन के बारे में नहीं सुना या देखा, कैसे कुछ लिबरल मुसलमानों के धरना प्रदर्शन ने पूरे मुल्क को खून से लाल कर दिया और करोड़ों मुसलमान इन धरना प्रदर्शन के एवज मारे गए लाखों मां बहेनो की इज्जत लूटी लाखों बच्चे यतीम हुए , और लाखो औरतें बेवा हुई,

और ये धरना प्रदर्शन सिर्फ जम्हूरियत के लिए हुआ,
एक लिबरल और मुनकर ए हदीस मुझसे कहने लगा ,:- अगर फीतनो के वक़्त मुहम्मद साहब ने सब्र करने का हुक्म दिया है तो फिर क्यूं सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूब और मुहम्मद बिन कासिम ने चढ़ाई की सब्र ना किया "
अत्यंत जाहिलाना और बेवकूफाना ऐतराज़ है, अगर मुनकर साहब हदीस समझते होते तो इस तरह का ऐतराज़ ना करते,
सबसे पहले हालात को समझना चाहिए सलाहुद्दीन अय्यूब के दौर में जिहाद के फ़र्ज़ होने की पूरी वजह थी जिसके एवज उलेमा ने जिहाद का फतवा भी दिया था इसी की बिना पर फौजी जूक दर जूक शामिल होते, और उन्हें जिहाद के लिए जज्बा उलेमा के जरिए से पैदा होता,
दूसरी बात सलिबियो के ज़ुल्म की दास्तां खुद काफी इसाई स्कॉलर ने बयान की है यानी सलिबियो का ज़ुल्म इंतेहाई हद तक बढ़ चुका था, अब पूरी दास्तां इस छोटे से पोस्ट में बयान नहीं की जा सकती, मैं मुनकर साहब को तारीख सलाहुद्दीन अय्यूब या फिर याददाश्त बहौद्दीन शाददाद की किताबें पढ़ने का मशवरा देता हूं,
तीसरी बात है मुहम्मद बिन कासिम की लश्कर कुशी हिन्दुस्तान में कैसे हुई उसके लिए मुनकर हजरात किताब पढ़ें
और इसकी खास वजह हाजियों के काफिलों को लुटा जाना और एक मुसलमान औरत को राजा दाहिर द्वारा कैद कर लेना था, और भी काफी वजूहात थी जिससे पानी सर के ऊपर हो गया था,
और आखिर में NRC ,CAA की तो अपना विरोध दर्ज कराना अलग बात है , और धरना प्रदर्शन एक अलग चीज़, धरना प्रदर्शन से आम लोगों के दिलों में भय पैदा होता है, क्यूंकी भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता और इसके नतैज हम भारत के कई हिस्सों में देख चुके , कितने ही मासूम लोग जिनका इन प्रदर्शनों में कोई रोल नहीं था मारे जा चुके हैं, और हासिल कुछ नहीं हुआ,
इसलिए मेरा कौम को मशवरा है धरना प्रदर्शन करने की बजाए अपने अमाल सुधारे, क़ुरआन वा हदीस के मुताबिक ज़िन्दगी जीने की कोशिश करें, हिंदू भाई को इस्लाम की बातें समझाए, और Islamophobia का डर दूर करें
साभार : Umair Salafi Al Hindi
Blog: