Saturday, September 5, 2020

FIRKA WAARIYAT KYA HAI





फिरका वारियत क्या है ??

क्या क़ुरआन वा सुन्नत की दावत देना फिरका वारियत है ??

मौजूदा दौर में क़ुरआन वा सुन्नत की बात करना फिरका वारियत है ??

हरगिज़ नहीं, और यकीनन अगर क़ुरआन वा सुन्नत की दावत फिरका वारियत नहीं है तो फिर फिरका वारियत क्या है ??

आए में आपको दिखाता हूं कि दीन की खिदमत और आसानी के नाम पर शुरू होने वाली दावत वा तबलीग़ ही फिरका वारियत की असल वजह है,

2020 चल रहा है,

मेरे पैदा होने से पहले ही शिया, सुन्नी, हनफी, मालिकी, शाफई, हमबली, बरेलवी (जिनमें और फिरके भी शामिल हैं ), देवबंदी (जिनमें और फिरके भी शामिल है जैसे हयाती मामाती ), परवेजी, जमात ए मुस्लिमीन, अहले क़ुरआन, अशरी, जाफरी, इस्मैली, ज़ैदी, अलावी, बातीनी, बकताशी, कादयानी ( जो इत्तेफ़ाक़ तौर पर काफ़िर हैं, लेकिन मुसलमानों में से निकाला हुआ फर्का है) में ये उम्मत बट नहीं चुकी थी ???

अगर हिन्द वा पाक की बात करें तो मेरे पैदा होने से पहले ही भारत में 1865 में बरेलवी फिर्का बना कर बाक़ी सब को गुमराह करार दे दिया था।

मेरे पैदा होने से पहले ही 1867 में देवबंदी फिरका बना कर बाक़ी सबको गुमराह करार दे दिया गया।

मेरे पैदा होने से पहले ही उम्मत् में कई फिर्क बन चुके थे और उम्मत तकसीम हो चुकी थी और उम्मत को तकसीम करने वालों ने इस उम्मत को तकसीम कर दिया था,

और अगर आज कोई इन फिरका वारियत फैलाने वालों के खिलाफ बोल दे और उनके बातिल अकायेद को क़ुरआन वा सुन्नत से गलत साबित कर दे और लोगों को इस फिरका वारियात से निकाल कर एक अल्लाह और इसके रसूल की तरफ आने कि दावत दे तो आप लोग उसकी आवाज़ दबाने के लिए उल्टा उसी पर फिरका वारीयत का इलज़ाम लगा देते हो।

जब तक आप लोगों के दिलों से अपने फिरकों की मुहब्बत नहीं निकलेगी तब तक उन दिलों में इस्लाम की मुहब्बत पैदा नहीं हो सकती,

" और अल्लाह की रस्सी को मजबूती से थामे रखो, और आपस में फर्क मत बनाओ "

(क़ुरआन अल इमरान आयात 103)

"कहीं तुम उन लोगों की तरह न हो जाना जो फ़िरक़ों और गरोहों में बँट गए और खुली-खुली साफ़ हिदायतें पाने के बाद फिर इख़्तिलाफ़ात [विभेदों] में पड़ गए। जिन्होंने ये रवैया अपनाया वे उस दिन सख़्त सज़ा पाएँगे,"

(क़ुरआन अल इमरान आयात 105)

"जिन लोगों ने अपने दीन को टुकड़े-टुकड़े कर दिया और गरोह-गरोह बन गए यक़ीनन उनसे तुम्हारा कोई वास्ता नहीं, उनका मामला तो अल्लाह के सुपुर्द है, वही उनको बताएगा कि उन्होंने क्या कुछ किया है।"

(क़ुरआन अल अनाम आयात 159)

" इब्राहीम ना यहूदी था ना ईसाई , बल्कि वह एक सच्चा मुस्लिम था और वह हरगिज़ मुष्रीकीन में से ना था "

(क़ुरआन अल इमरान आयात 67)

"इसी तरीक़े पर चलने की हिदायत उसने अपनी औलाद को की थी और इसी की वसीयत याक़ूब अपनी औलाद को कर गया। उसने कहा था कि “मेरे बच्चो, अल्लाह ने तुम्हारे लिये यही दीन [जीवन-व्यवस्था] पसन्द किया है, इसलिये मरते दम तक मुस्लिम ही रहना।”

(क़ुरआन अल बकरा आयात 132)

" ए ईमान वालों ! अल्लाह से डरो जैसा कि उससे डरने का हक है और तुम्हारी मौत सिर्फ उसी हाल पर आएं के तुम मुसलमान हो"

(क़ुरआन अल इमरान आयात 103)

जन्नत में कौन लोग जाएंगे ???

"मेरी उम्मत 73 फिर्को में बट जाएगी जिन में से जन्नत में वह जाएगा जो मेरे और मेरे सहाबा के तरीके पर होगा "

(जामे तिरमिज़ी हदीस 2641)

"मगर जो आदमी रसूल की दुश्मनी पर उतर आए और ईमानवालों के रवैये के सिवा किसी और राह पर चले, जबकि उस पर सीधा रास्ता वाज़ेह हो चुका हो, तो उसको हम उसी तरफ़ चलाएँगे जिधर वह ख़ुद फिर गया और उसे जहन्नम में झोंकेंगे जो सबसे बुरा ठिकाना है।"

(क़ुरआन अल निशा आयात 115)

अब फैसला आपके सामने है।

फिरका वारियत क्या है ??
क़ुरआन वा हदीस की दावत फिरका वारियत है या क़ुरआन वा हदीस फिरका वारियत का तोड़ है??

साभार : Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com