मेरे नज़दीक मुहब्बत इन्सान को भटकने से मिलती है, जिन लोगों को बिन मांगे झोली में मुहब्बत मिल जाती है यकीन कीजिए उनकी ये खुशखयाली होती है,
बहुत लोगों से सुनने मिला है उनको मुहब्बत तो मिल गई लेकिन वह तमाम दावे खतम होते गए, पता है जो लोग एक के होकर रहते हैं वह हमेशा धोका खाते हैं,
क्यूंकि जिस एक के वह होते हैं वह उसका नहीं होता , इसलिए फिर धोका खाने के बाद कहते हैं के जिस शख्स पर भरोसा किया है, उसने भरोसा तोड़ा,
मैंने ज़िन्दगी में एक ही तरीका अपनाया हर चाहत के दावेदार को मौका दिया, क्यूंकि मुहब्बत कोई नौकरी का नाम तो नहीं, ये एक जज्बे का ही नाम है और मान का नाम है,
जो कभी भी जाग सकता है, हर किसी को मुहब्बत की मंज़िल ज़रूर मिलती है, लेकिन उनको कभी नहीं मिलती जो एक के होकर रहते हैं, और फिर धोका खा कर मर्द और औरत ज़ाद को बुरा कहते हैं,
यकीन कीजिए जब तक आप किसी को मौका नहीं देंगे तो कैसे आपको पता चलेगा के कौन कैसा है, इसलिए मैं मौका देता हूं ताकि पता चले के कौन मेरा खैरख्वाह है,
पता है,
जब मुहब्बत को मंज़िल मिल जाती है तो उसके बाद इन्सान इधर उधर नहीं भटकता , क्यूंकि उसने मंज़िल ही भटक कर पाई होती है,
और मैं उमैर अंसारी बिल्कुल यकीन से कह सकता हूं जो मुहब्बत आपको बिन मांगे मिल जाती है ना, यकीन कीजिए वो सिर्फ एक सराब (Illusion) है ,
अपनी ज़िन्दगी में उस शख्स के लिए आंसू ना बहाएं जो मुहब्बत नहीं कर सका, और जो आपके साथ है जो चाहे मजबूर है लेकिन मुनाफिक नहीं वह शख्स आपके लिए बेहतर है,
क्यूंकि बुरे इन्सान के साथ ज़िन्दगी गुज़ार सकते हैं लेकिन मुनाफिक के साथ नहीं,
साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com