Sunday, May 16, 2021

तवज्जोह से महरूमी ही हमें गंदी आदतों मे मुब्तिला करती है


 


कोई गैर हमारी ज़िन्दगी में दो ही सूरतों में दाखिल हो सकता है जब हमारा हमारे अपनों से दिल भर चुका हो, नंबर दो या हमारे अपनों ने हमें लूट कर कंगाल कर दिया हो,


अगर हमारे दिलों में अपनों के लिए जगह है और हमारे अपने भी हमें नवाज़ने में कोई कसर नहीं छोड़ते तो हमारी गंदी आदतों के इलावा हमें किसी ग़ैर की ज़रूरत ही नहीं पेश आती, हमारे अपनों की ही बे राहरावी और संगदिली हमें आवारगी पर मजबूर करती है वरना शौक से कोई भी आवारा नहीं होता, बेशक फिर वह मर्द हो या औरत हो,

तवज्जोह से महरूमी ही हमें गंदी आदतों मे मुब्तिला करती है जब हम तवज्जोह ना मिलने पर तनहाई का शिकार होते हैं और जब उसी तनहाई से घबराने लगते हैं तो या हम किसी नशे को अपना साथी बना लेते हैं या फिर किसी और बुराई को गले लगा लेते हैं तो ये सब हमारे अपनों की बेहिसी और लापरवाही की वजह से होता है,

जब हमें तवज्जोह मिलती है हम पर नज़र रखी जाती है हमारी हरक़त का मुआयना किया जाता है तो हमें अच्छे काम पर तारीफ और बुरे काम पर डांट डपट मिलती है तो हम निखरते जाते हैं और जैसे ही हम पर से तवाज्जोह हटाई जाती है हम रोज़ बरोज़ बिगड़ते जाते हैं और इस सब के ज़िम्मेदार हमारे अपने ही होते हैं यही अपने हमें संवारते हैं और यही अपने हमें बिगाड़ते हैं,

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com