आपकी राय चाहिए !!!
बेटी का रिश्ता आ जाए किसी गरीब घराने से लेकिन लड़का चाहे अच्छे अखलाक और पढ़ा लिखा क्यूं ना हो, उसके रिश्ते को फौरन इनकार कर दिया जाता है, क्यूंकि डर जो होता है, कहां से खिलाएगा ?? उसकी औकात नहीं होगी इतनी, अगर तरक्की नहीं कर सका तो हमारी तो बेटी गई ना !!!!!!!
लेकिन अगर रिश्ता आ जाता है बेटी का किसी अमीर खानदान से लड़का चाहे जैसा भी क्यूं ना हो, चाहे कितनी लड़कियों के साथ चक्कर चलाकर उनकी ज़िन्दगी खराब कर चुका हो, चाहे जितना अय्याश क्यूं ना हो , हम उसके रिश्ते के लिए इनकार नहीं करते बल्कि हां कर देते हैं,
जब कोई कहता है के वह लड़का सही नहीं है तो कहते हैं:-" वह जो अल्लाह है ना वह सबकुछ सही कर देगा , सही रास्ते पर ले आएगा "
अच्छा ज़रा मैं ये सवाल करता हूं के ," उस अमीर लोगों से ताल्लुक बनाने के लिए हमारे पास अल्लाह की ज़ात का भरोसा है लेकिन जब किसी गरीब वा शरीफ घराने से रिश्ता आता है चाहे वह मिडिल क्लास ज़िन्दगी बसर क्यूं ना कर रहें हों तब इनकार क्यूं करते हो ??"
तब अल्लाह का भरोसा कहां जाता है !!
जो अल्लाह हर चीज़ पर कादिर है वहीं रिज़्क़ देने वाला है, सच तो ये है के हम बेटी से नहीं उसके नसीब से डरते हैं, कहीं कुछ हो ना जाए इस नसीब की वजह से अपनी बेटियों को अपने घर बिठाए रखते हैं के कहीं से कोई अच्छा पैसे वाला रिश्ता आजाए , इस चक्कर में उनकी उम्र निकलती रहती है,
बहुत सी लड़कियां खुद अदम बर्दाश्तगी की वजह से किसी लडके से दोस्ती करके अपना जीवनसाथी ढूंढने लग जाती हैं और धोखा खाकर रोती रहती हैं,
हमारा एक माइंड लेवल सेट हो गया है के " जब लड़के 28 में पहुंचेगा और लड़कियां 26 में तो तब मंगनी करेंगे , "
इससे पहले चाहे लड़की जो करे या लड़का कितनों की ज़िन्दगी खराब करे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता , ना पैसा इस बात कि अलामत है के बेटी खुश रहेगी क्यूंकि जब शौहर ही ऐतबार ना देगा तो उस रिज्क रोटी का क्या फायदा ??
अपने बच्चों के खाली निकाह कर दें ताकि अगर वह बात करें तो अपने होने वाले जीवनसाथी से करें , रुखसती जब करें जब लड़का थोड़ा इस काबिल हो जाए,
और यही हल है अपने बच्चों को बुराई से बचाने का क्यूंकि शादी से पहले जो वह बुरा काम करेंगे तो उसकी पूछ मां बाप से भी होगी,
क्या मैं गलत हूं ?? अपनी राय का इज़हार करें ??
साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com