कभी कभी हम गलत नहीं होते बस हमारे पास वह अल्फ़ाज़ नहीं होते जिससे हम खुदको सही साबित कर सकें कोई सफाई दे सकें और शायद देने की ज़रूरत भी नहीं होती,
क्यूंकि जब रिश्ते वज़ाहतों के मोहताज हो जाएं तो समझ लें के रिश्ते की उमर खतम हो चुकी है,
साभार: Umair Salafi Al Hindi
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