Wednesday, May 19, 2021

फ़िरदौस के बाला खानों तक : ऐ मुस्लिम नौजवान !




 फ़िरदौस के बाला खानों तक : ऐ मुस्लिम नौजवान !


ये ज़माना किसी औरत की जुल्फों पर फिदा होने का नहीं ना ही मुहब्बत भरी ग़ज़ल लिखने का है, और ना ही हरामकारियों में वक्त बर्बाद करने का है,

ये ज़माना तो इल्मी मैदान में जंग का ज़माना है,
ये ज़माना तो जिहाद से मुहब्बत का ज़माना है,
ये ज़माना तो अल्लाह की राह में जान लुटाने का ज़माना है,
ये ज़माना तो गोलियों कि तड़तड़ाहट में अल्लाहु अकबर के नारे लगाने का है,
ये ज़माना तो अल्लाह के दुश्मनों के दांत खट्टे करने का ज़माना है,

ऐ तौहीदी मुसलमान मेरे भाई ! काश मेरे अल्फ़ाज़ तेरे सीने में उतर जाएं,

उठ गैर महरम औरत को अपनी ज़िन्दगी से दफा कर और जिहाद के मुकद्दस फरीजे को अदा कर ,

उठ गाने बाजों को पैरों तले रौंद और जिहादी तरानो को अपना नगमा बना,

उठ सनम खानों के बुत को मिटा और तौहीद का दामन थाम,

उठ कुफ्फार् के तरीकों को छोड़ और खातिम उल नाबिय्यीन हज़रत मुहम्मद सल्लालाहू अलैहि वसल्लम की मुबारक सुन्नतों को अपना ,

अल्लाह ताला क़ुरआन अल करीम में फरमाता है

" बेशक अल्लाह ने मुसलमानों से उनकी जान और उनका माल इस कीमत पर खरीद लिए हैं के उनके लिए जन्नत है, अल्लाह की राह में लड़ते हैं फिर कत्ल करते हैं और क़त्ल भी किए जाते हैं, ये सच्चा वादा है तौरात और इंजील और कुरआन में, और अल्लाह से ज़्यादा वादा पूरा करने वाला कौन है, खुश रहो इस सौदे से जो तुमने उससे किया है, और ये बड़ी कामयाबी है "

(क़ुरआन सुरह तौबा)

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com