जब औरतें मर्द की तमाम ख्वाहिशात शादी से पहले ही पूरी कर दें तो मर्द को निकाह की क्या ज़रुरत है फिर ??
और जब मर्द औरत के पाक दामन को दागदार करेंगे तो उनके हिस्से में पाकदामन औरतें कैसे आएंगी ??
घर से बाहर निकलते ही आपका दो किस्म की औरतों से सामना होता है,
पहली किस्म : उन औरतों की है जो अज़ीज़ मिस्र की बीवी ( जुलैखा ) वाली बीमारी का शिकार है, खूब बन संवरकर परफ्यूम लगाए बे पर्दा, जो अपनी ज़बान ए हाल से कह रही होती हैं
”ﻫﻴﺖ ﻟﻚ ”
तर्जुमा: " क़रीब आओ , जल्दी आओ "
दूसरी किस्म: दूसरी औरत जो सतर वा हिजाब की पाबंद और मजबूरी में घर से बाहर निकलती हैं, जो अपनी ज़बान ए हाल से कह रही होती है,
"ﺣﺘﻰ ﻳﺼﺪﺭ ﺍﻟﺮﻋﺎﺀ ﻭﺃﺑﻮﻧﺎ ﺷﻴﺦ ﻛﺒﻴﺮ"
(क़ुरआन सुरह कसस आयत 23)
तर्जुमा : " जब तक चरवाहे वापस ना लौट जाएं, और हमारे वालिद बहुत बूढ़े हैं "
पहली किस्म की औरतों से आप वही मामला करें जो सैय्यदना युसूफ अलैहि सलाम ने किया था, यानी कहें,
" माज़ अल्लाह " ( अल्लाह की पनाह)
और दूसरी किस्म की औरतों से आप वही मामला करें जो सैय्यदना मूसा अलैहिस्सलाम ने किया था, यानी अदब वा एहतेराम से उनकी मदद करें और अपने काम में मशगूल हो जाएं, और अल्लाह का फरमान
: ”ﻓﺴﻘﻰ ﻟﻬﻤﺎ ﺛﻢ ﺗﻮﻟﻰ ﺇﻟﻰ ﺍﻟﻈﻞ ”
याद करें, क्यूंकि युसूफ अलैहिस्सलाम अपनी इफ्फत वा पाकदामनी की बिना पर अज़ीज़ ए मिस्र बन गए थे, और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के हुस्न ता आमिल की बिना पर अल्लाह ने उन्हें नेक बीवी और पुर अमन रिहाइश अता की थी,
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का पूरा वाकया
"और जब वो मदयन के कुँए पर पहुँचा, उसने देखा कि बहुत से लोग अपने जानवरों को पानी पिला रहे हैं और उनसे अलग एक तरफ़ दो औरतें अपने जानवरों को रोक रही हैं। मूसा ने इन औरतों से पूछा, “तुम्हें क्या परेशानी है?” उन्होंने कहा, “हम अपने जानवरों को पानी नहीं पिला सकतीं, जब तक ये चरवाहे अपने जानवर न निकाल ले जाएँ और हमारे बाप एक बहुत बूढ़े आदमी हैं।, ये सुनकर मूसा ने उनके जानवरों को पानी पिला दिया, फिर एक साए की जगह जा बैठा और बोला, “परवरदिगार, जो भलाई भी तू मुझपर उतार दे मैं उसका मोहताज हूँ।”
(क़ुरआन सुरह कसस आयत 23-24)
साभार : Umair Salafi Al Hindi
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